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भारत में मानवाधिकारों सम्बन्धी घटनाओं के कालक्रम
1829 -
पति के मृत्यु के बाद रुढिवादी हिन्दू दाह संस्कार के समय उसकी विधवा के आत्म दाह की चली आ रही सती प्रथा को राजा राम मोहन राय द्वारा चलाये गये हिन्दू सुधार आन्दोलन के वर्षो प्रचार के बाद गवर्नर जनरल विलियम बेंटिक ने औपचारिक रुप से समाप्त कर दिया।
1929 -
नाबालिगों को शादी से बचाने के लिए बाल विवाह निरोधक कानून पास हुआ।
1947 -
ब्रिटिश राज की गुलामी से भारतीय जनता को आजादी मिली।
1950 -
भारत के संविधान ने सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के साथ सम्प्रभुता सम्पन्न लोकतान्त्रिक गणराज्य की स्थापना की।
1955 -
भारतीय हिन्दू परिवार कानून में सुधार, हिन्दू महिलाओं को मिले और अधिकार।
1958 -
सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधिनियम 1958 पारित हुआ।
1973 -
भारत के केशवानन्द भारती वाद में, उच्चतम न्यायालय ने निर्धारित किया कि संविधान संशोधन द्वारा संविधान के मूलभूत ढाँचे में परिवर्तन नहीं किया जा सकता (जिसमें संविधान द्वारा कई मूल अधिकार भी शामिल है)
1975-77 -
भारत में आपातकाल की स्थिति-अधिकारों के व्यापक उलंघन की घटनाएं घटी।
1978 -
मेनका गाँधी वनाम भारत संघ के मामले में उच्चतम न्यायालय ने यह कानून लागु किया कि आपात-स्थिति में भी अनुच्छेद 21 के तहत जीवन (जीने) के अधिकार को निलंबित नहीं किया जा सकता।
1978 -
जम्मू और कश्मीर जन सुरक्षा अधिनियम, 1978 आया।
1984 -
आपरेशन ब्लू स्टार और उसके तत्काल बाद सिख विरोधी दंगे।
1985-86 -
शाहबानों मामला जिसमें उच्चतम न्यायालय ने तलाक-शुदा मुस्लिम महिला के अधिकार को मान्यता दी जिससे मौलानाओं में विरोध की चिंगारी भड़का दी, उच्चतम न्यायालय के फैसले को अमान्य करार करने के लिए राजीव गाँधी की सरकार ने मुस्लिम महिला (तलाक पर अधिकार का संरक्षण) अधिनियम 1986 पारित किया।
1989 -
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जन जाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 पारित किया गया।
1992 -
संविधान में संशोधन के जरिये पंचायत राज की स्थापना, जिसमें महिलाओं के लिए एक तिहाई आरक्षण लागु हुआ तथा अनुसूचित जाति एवम् जनजाति के लिए भी समान रूप से आरक्षण लागु हुआ।
1993 -
मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत 26 सितम्बर 1993 को मानवाधिकार आयोग की स्थापना की गयी।
2001 -
उच्चतम न्यायालय ने भोजन का अधिकार लागु करने के लिए व्यापक आदेश जारी किये।
2002 -
गुजरात में हिंसा, मुख्य रूप से मुस्लिम अल्पसंख्यक को लक्ष्यकर, कई लोगों की जानें गयी।
2005 -
सूचना का अधिकार अधिनियम पारित हुआ जिससे कि सार्वजनिक अधिकारियों के अधिकार क्षेत्र में संघटित सूचना तक नागरिक की पहुँच हो सके।
2005 -
रोजगार की समस्या हल करने के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी एक्ट पारित हुआ।
2006 -
भारतीय पुलिस के कमजोर मानव अधिकारों के लिए मा. उच्चतम न्यायालय ने पुलिस सुधार के निर्देश दिये।
विशेषः-
हमने इस जानकारी को अधिक से अधिक त्रुटिहीन बनाने का प्रयास किया है,पर इसे एक कानूनी सलाह के रूप में नहीं लेना चाहिए।
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